लखनऊ-प्रोटोकाल नही मालूम तो शासन से ट्रेनिग ले नगर आयुक्त:सुषमा खर्कवाल
महापौर का फूटा गुस्सा: लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों की संवेदनहीनता पर तीखा प्रहार

रितेश श्रीवास्तव-ऋतुराज::::::::::::
🟥 महापौर का फूटा गुस्सा: लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों की संवेदनहीनता पर तीखा प्रहार 🟥

📍 लखनऊ, 01 अगस्त 2025-
नगर निगम लखनऊ में गुरुवार को एक बेहद संवेदनशील और गरिमामय कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें मृतक आश्रितों को नियुक्ति-पत्र प्रदान किए जाने के साथ ही 31 जुलाई 2025 को सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों के सम्मान में विदाई समारोह भी प्रस्तावित था। यह कार्यक्रम सायं 4 बजे से नगर निगम मुख्यालय में तय था, लेकिन इस महत्वपूर्ण अवसर पर जिस प्रकार से प्रोटोकाल की अवहेलना हुई, उससे स्वयं महापौर बेहद आहत और क्रोधित नजर आईं।
🔴 महापौर को नहीं दी गई जानकारी!
नगर निगम के इस महत्वपूर्ण आयोजन की न तो महापौर को सूचना दी गई, और न ही उनके कार्यालय को कोई पत्र प्राप्त हुआ। बावजूद इसके, जब कुछ कनिष्ठ अधिकारियों ने मौखिक रूप से आग्रह किया, तो महापौर ने सायं 5:15 बजे स्वयं कार्यक्रम में सहभागिता की। लेकिन जब वे कार्यक्रम स्थल पर पहुंचीं, तो पाया कि अधिष्ठान विभाग के अधिकारी नदारद हैं — न ही आप (विभागीय मुखिया) मौजूद थे, न ही सम्बंधित अपर नगर आयुक्त।
📞 जब फोन किया गया, तो मिला बहाना
मौके पर मौजूद नगर स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिया गया कि वे अपर नगर आयुक्त (अधिष्ठान) को तत्काल बुलाएं। जवाब मिला — वे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में हैं, जिसकी अध्यक्षता प्रमुख सचिव नगर विकास श्री अमृत अभिजात कर रहे हैं। हैरानी की बात यह रही कि मात्र आधे घंटे में ही वह कार्यक्रम में उपस्थित हो गईं, जिससे सवाल उठता है — क्या यह अनुपस्थिति जानबूझकर की गई?
💢 महापौर का तीखा सवाल:
“क्या मृतक आश्रितों को नियुक्ति-पत्र देने और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को सम्मानित करने जैसे भावनात्मक कार्यक्रम में महापौर को प्रोटोकाल के तहत बुलाना आवश्यक नहीं था?”


मेयर ने नगर निगम प्रशासन पर लगाए संवेदनहीनता का आरोप
महापौर ने अपने पत्र में अधिकारियों की संवेदनहीनता पर सीधा सवाल उठाया है और यह भी स्पष्ट किया है कि यदि बैठक इतनी अनिवार्य थी, तो कार्यक्रम की तिथि बदलना उचित होता। उन्होंने यह भी कहा कि विभागीय मुखिया होने के नाते आपका नैतिक व प्रशासनिक कर्तव्य था कि आप या आपकी ओर से अधिष्ठान विभाग के उत्तरदायी अधिकारी अनिवार्य रूप से उपस्थित होते।
शासन से प्रशिक्षण लेने की नसीहत
प्रोटोकॉल की समझ नहीं? तो जाइए, शासन से ट्रेनिंग लीजिए!”
महापौर ने दो टूक शब्दों में कहा — “यदि आप और आपके अधीनस्थ अफसर प्रोटोकाल और मर्यादा नहीं समझते, तो बेहतर होगा कि शासन से जाकर प्रशिक्षण लें। ये नगर निगम है, कोई व्यक्तिगत जागीर नहीं।”
उन्होंने यह भी निर्देशित किया है कि 5 अगस्त 2025 की अपराह्न तक यह स्पष्ट किया जाए:
- क्या महापौर को बुलाया जाना प्रोटोकाल के तहत आवश्यक नहीं था?
- क्या विभागीय मुखिया और अधिष्ठान से जुड़े अधिकारी का इस कार्यक्रम में उपस्थित रहना आवश्यक नहीं था?
कर्मचारी संगठनों में भी रोष
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कर्मचारी संगठनों में भी नाराजगी देखी जा रही है। कई वर्षों तक सेवा देने वाले कर्मचारियों की विदाई में प्रशासन की बेरुखी को बेहद अपमानजनक बताया गया है।
हलाकि मेयर ने निभाई जिमेदारी
मेयर का कहना है की नगर निगम का हर एक कर्मचारी उनका परिवार है और वह उनके हर दुख सुख में शामिल होंगी भले ही जानकारी न दी गई लेकिन मैं मेरे कर्मचारियो के प्रति सदैव अपने हृदय में स्थान रखती हूं, कार्यक्रम के दौरान अपर नगर आयुक्त डॉ अरविंद कुमार राव भी मौजूद रहे।

नगर निगम में खलबली — अफसरों की कुर्सियां डोलने लगीं
महापौर के इस तीखे तेवर और खुले पत्र के बाद नगर निगम के गलियारों में सन्नाटा है। अधिकारी सकते में हैं, और अब हर टेबल पर यही चर्चा है — “अब क्या होगा?” कर्मचारी संगठनों ने भी महापौर के रुख का समर्थन किया है।
🔻 नगर निगम प्रशासन की चुप्पी अब जवाब मांग रही है। सवाल सिर्फ प्रोटोकाल का नहीं, कर्मचारियों की गरिमा का है — और महापौर अब आर-पार के मूड में हैं।



