नगर निगम लखनऊ

लखनऊ-महापौर की गैरहाजिरी में नगर आयुक्त ने कर डाले ये काम-मेयर ने माग लिया जवाब-अब क्या करेंगे नगर आयुक्त

नगर आयुक्त को महापौर सुषमा खर्कवाल ने भेजा पत्र– गैर मौजूदगी में मृतक आश्रितों को बांटे नियुक्ति पत्र और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किया विदा, नहीं ली गई महापौर की अनुमति

नगर आयुक्त को महापौर सुषमा खर्कवाल ने भेजा पत्र– गैर मौजूदगी में मृतक आश्रितों को बांटे नियुक्ति पत्र और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को किया विदा, नहीं ली गई महापौर की अनुमति

लखनऊ, 1 अगस्त 2025:

लखनऊ नगर निगम में प्रशासनिक समन्वय की गंभीर कमी एक बार फिर उजागर हो गई है। महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त पर बिना पूर्व सूचना और अनुमति के मृतक आश्रितों को नियुक्ति-पत्र वितरित करने और सेवानिवृत्त कर्मचारियों का विदाई एवं सम्मान समारोह आयोजित करने का आरोप लगाया है।

महापौर द्वारा नगर आयुक्त को भेजे गए पत्र में स्पष्ट रूप से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा गया है कि दिनांक 1 अगस्त 2025 को आयोजित उक्त कार्यक्रम की न तो उन्हें पूर्व सूचना दी गई, न ही उनके कार्यालय को कोई पत्र भेजा गया। जबकि यह कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण था, जिसमें महापौर की मौजूदगी स्वाभाविक और आवश्यक मानी जाती है।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह कार्य नगर आयुक्त के साथ-साथ अपर नगर आयुक्त (अधिष्ठान) की भी जिम्मेदारी थी, जिससे स्पष्ट होता है कि संबंधित अधिकारियों ने अपने पदीय कर्तव्यों के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई। महापौर ने इसे अनुशासनहीनता की श्रेणी में रखते हुए कड़ा संदेश दिया है।

इसके साथ ही नव तैनात सहायक नगर आयुक्तों के कार्य विभाजन पर भी सवाल उठाए गए हैं। महापौर का कहना है कि बिना उनसे परामर्श लिए कार्यों का आवंटन कर दिया गया, जबकि अभी तक इन अधिकारियों को न तो कार्य करने के लिए कक्ष दिए गए हैं और न ही कोई सहायक उपलब्ध कराए गए हैं।

महापौर ने नगर आयुक्त से 4 अगस्त 2025 की अपराह्न तक दो प्रमुख बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है

  1. क्या मृतक आश्रितों को नियुक्ति पत्र देने और सेवानिवृत्त कर्मियों के सम्मान समारोह में महापौर की उपस्थिति आवश्यक नहीं थी?
  2. क्या सहायक नगर आयुक्तों के कार्य विभाजन से पूर्व महापौर से विचार-विमर्श जरूरी नहीं था?

नगर निगम के भीतर प्रशासनिक मतभेदों के इस घटनाक्रम ने यह संकेत दिया है कि निगम का संचालन एकरूपता और पारदर्शिता से दूर होता जा रहा है। इस प्रकरण को लेकर नगर निगम के गलियारों में चर्चाएं तेज हैं और निगमकर्मियों के बीच भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

अब देखना होगा कि नगर आयुक्त इस आरोपों पर क्या स्पष्टीकरण देते हैं और महापौर के इन सवालों का जवाब कितनी गंभीरता से लिया जाता है।

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