उत्तर प्रदेश

वैश्विक नगर बनाने की दिशा में बड़ा निर्णय, 762 निकायों की नई व्यवस्था लागू”

रितेश श्रीवास्तव-ऋतुराज

उत्तर प्रदेश के नगरों को वैश्विक बनाने की मुहिम हुई तेज

दशकों बाद प्रशासनिक ढांचे में किया गया नवीनीकरण

प्रशासनिक सुविधा हेतु तीन श्रेणियों में बांटे गए नगर निगम और नगर पालिकाएं

बढ़ती जनसंख्या के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण सेवाएं होगी उपलब्ध: ए.के. शर्मा

लखनऊ, 27 सितंबर 2025

उत्तर प्रदेश की कल हुई कैबिनेट बैठक में नगरीय निकायों को जनसंख्या के आधार पर नई श्रेणियों में वर्गीकृत करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने बताया कि इस निर्णय का उद्देश्य नगरीय क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जनसुविधा एवं सेवाएं उपलब्ध कराना है। इससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता आएगी और विकास योजनाओं का क्रियान्वयन और अधिक प्रभावी तरीके से किया जा सकेगा।

नगर निगमों के वर्गीकरण के अंतर्गत 20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगमों (लखनऊ, कानपुर नगर, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी, प्रयागराज) को प्रथम श्रेणी में रखा गया है। 10 लाख से अधिक एवं 20 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम (मेरठ, गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, मथुरा–वृंदावन, अयोध्या) द्वितीय श्रेणी में रखे गए हैं तथा 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम (झांसी, सहारनपुर, फिरोजाबाद, शाहजहांपुर) को तृतीय श्रेणी में शामिल किया गया है। अयोध्या और मथुरा–वृंदावन में आने वाली फ्लोटिंग जनसंख्या को देखते हुए इन शहरों को श्रेणी 2 में रखा गया है। नगर पालिका परिषदों के वर्गीकरण में तीन लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर पालिकाओं को प्रथम श्रेणी, जिला मुख्यालय स्थित नगर पालिकाओं को द्वितीय श्रेणी तथा शेष सभी नगर पालिकाओं को तृतीय श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।

उत्तर प्रदेश में जी-20 के कार्यक्रमों के तुरंत बाद प्रदेश के नगरों को वैश्विक स्वरूप देने का संकल्प लिया गया था। इसके अंतर्गत सफाई व्यवस्था, सुंदरीकरण, स्मार्ट सेवाएं और नागरिक सुविधाओं को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किए गए। इस कड़ी में वैश्विक नगर योजना, सीएम ग्रिड योजना, स्टॉर्म वाटर योजना, उपवन योजना तथा नए निकायों की योजना प्रारंभ की गई। साथ ही वृद्धों के लिए शेल्टर होम, आंगनबाड़ी केंद्रों का कायाकल्प, खेल सुविधाओं का विस्तार और पालतू व आवारा पशुओं के लिए विशेष प्रावधान जैसी सामाजिक योजनाएं भी लागू की गईं।

लगातार बढ़ते शहरीकरण और निकायों की संख्या को देखते हुए प्रशासनिक ढांचे को आधुनिक और अद्यतन बनाना समय की मांग थी। लगभग एक वर्ष तक हुए व्यापक विचार–विमर्श के बाद नई संरचना तैयार की गई जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी। इसमें सभी 762 नगरीय निकायों की भौगोलिक, सामाजिक और कर्मियों की दृष्टि से पुनर्संरचना की गई है।

नई व्यवस्था के प्रमुख बिंदु:

  1. 17 नगर निगमों को जनसंख्या के आधार पर तीन श्रेणी में बांटा गया।
  2. सामान्य नागरिक को निगम मुख्यालय न आना पड़े इसके लिए 3 से 8 तक जोन बनाए जाएंगे।
  3. राज्य की 200 नगरपालिकाओं को भी तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया।
  4. सभी निकायों को जनसंख्या व मानदंडों के अनुसार मानवबल उपलब्ध कराया जाएगा।
  5. नगर विकास विभाग का केंद्रीय मानवबल 3085 से बढ़कर 6686 हो जाएगा।
  6. पर्यावरण एवं नियोजन जैसी नई सेवाओं को शामिल किया गया।
  7. कर्मियों की सेवा शर्तें और भर्ती मानदंड समयानुकूल बनाए गए।

यह कदम नगरीय निकायों के आकार और जनसंख्या के अनुरूप योजनाओं एवं संसाधनों के वितरण को सुचारू बनाएगा। इसके साथ ही शहरी जीवन की गुणवत्ता में ठोस सुधार होगा और उत्तर प्रदेश के शहर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती से आगे बढ़ सकेंगे।


 

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