पहली बार भाग कर भारत कब आए थे यहूदी, किस कोने में किस नाम से बसे?

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इजरायल में सबसे ज्यादा यहूदी धर्म मानने वाले लोग हैं। यह धर्म 4000 साल पुराना है और दुनिया के सबसे पुराने धर्मों में से एक है। माना जाता है कि इसी से इस्लाम और ईसाई धर्म का भी उदय हुआ है। यहूदी धर्म का उदय पैगंबर अब्राहम या इब्राहिम से हुआ माना जाता है, जो ईसा से 2000 साल पहले हुए थे। पैगंबर अब्राहम की दो बीवियों से दो बेटे हुए। एक का नाम हजरत इसहाक तो दूसरे का नाम हजरत इस्माइल था। पैंगबर को पोते का नाम हजरत याकूब था। कहा जाता है कि याकूब ने ही यहूदियों की 12 जातियों के मिलाकर इजरायल बनाया था। इसलिए याकूब का दूसरा नाम इजरायल था।
भारत में यहूदियों की मौजूदगी और उसके इतिहास पर कई निबंध लिखने वाले मनोचिकित्सक और दक्षिण एशियाई कला के संग्रहकर्ता केनेथ एक्स रॉबिंस के निबंध संग्रह ‘जियूज एंड द इंडियन आर्ट प्रोजेक्ट’ और ‘वेस्टर्न जियूज इन इंडिया’ के मुताबिक, आज से करीब 3000 साल पहले यानी 973 ईसा पूर्व में यहूदियों ने सबसे पहले केरल के मालाबार तट पर भारत में प्रवेश किया था। उस वक्त ये यहूदी दक्षिणी फिलिस्तीनी शरणार्थी और कारोबारी के रूप में समंदर के रास्ते भारत आए थे। फिर धीरे-धीरे यहां बसते चले गए और देशभर में फैल गए। कोच्चि के आसपास बसे ये यहूदी हिब्रू और मलयालम मिलाकर बोला करते थे।
बेने इजरायल
यहूदियों का एक समूह महाराष्ट्र के कोंकण तट पर आकर बस गया। इसे ‘बेने इजरायल’ कहा जाता था। इसका मतलब ‘इजरायल के बच्चे’ होता है। ये लोग भी जूडिया में करीब 2200 साल पहले रोमन के अत्याचार से तंग होकर कोंकण आकर बस गए थे। एक मान्यता यह भी है कि 3000 साल पहले यानी महाभारत युद्ध के बाद के कुछ वर्षों में यहूदी धर्म के 10 कबीला कश्मीर में आकर बस गए। धीरे-धीरे वे लोग हिन्दू और बौद्ध संस्कृति में घुल मिल गए। बाद में उनके वंशज मुसलमान बन गए।