March 15, 2025

बरसाना में लाडली मंदिर का रोपवे 7 वर्षों से अधूरा

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पवन शर्मा

– सपा सरकार में किया गया था उद्घाटन

– पीपीपी मॉडल पर रोप वे का निर्माण होना था

 

मथुरा। राधे तू बड़ भागिनी ,कौन तपस्या कीन……। राधे ही नहीं, अब तो यहां आने वाला हर कोई अपने को भाग्यशाली मानता है। लाडली जू के दर्शन से ही उनकी व्याधि खत्म हो जाती है।
बरसाना उभरते हुए धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में विश्व पटल पर अपनी पहचान बना रहा है। यहां हर रोज देश- विदेश के कोने कोने से श्रद्धालू पहुंच रहे हैँ और खुद को कृतार्थ मान रहे हैं। लेकिन सरकार कान पर ठीकरा रख कर बैठी है। इससे लाखों श्रद्धालु आहत हैं। हर रोज आने वाले हज़ारों श्रद्धालु और पर्यटकों को मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार से ही प्रस्तावित अधूरे प्रोजेक्ट के पूरे होने की उम्मीद है। लोगों का कहना है कि मंदिरों को सहेजने वाली यह सरकार भी इस मामले में चुप्पी साधे बैठी है। सोशल मीडिया पर भी यह मसला खासा ट्रेंड कर रहा है। विवेक शर्मा ने मुख्यमंत्री को ट्वीट किया है और कार्य को पूर्ण करने की उम्मीद जताई है। श्याम गुप्ता ने फेसबुक पर लिखा है कि नई सरकार की पुरानी सरकार के अधूरे कार्यों को पेंडिंग डालने की फितरत बन जाती है। बरसाना में ऐसा ही दिख रहा है। आरपी अवस्थी पोस्ट करते हैं, धर्म और समाज के लिए अधूरे कार्य पूरे किए जाना नितांत जरूरी है।

 

दूसरी ओर समाज और राजनैतिक हल्के के लोग भी इससे प्रक्रिया से नाखुश है।
रालोद के प्रदेश उपाध्यक्ष व क्षत्रिय राजपूत महासभा के संरक्षक कुँवर नरेंद्र सिंह ने बरसाना में रोप वे के पूर्ण कराने की मांग उठाते हुए कहा है कि भाजपा सरकार धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है। धार्मिक स्थलों पर मूलभूत समस्याओं से उसे कोई सरोकार नहीं है । पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चौधरी अनूप सिंह कहते हैं, जनता और लाखों श्रद्धालुओं से जुड़ा मसला है। भाजपा को राजनीति करने के बजाय इस तरह के मुद्दे तुरंत समाप्त कर देने चाहिए। बताते चलें 2016 में समाजवादी प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पीपीपी मॉडल पर यहां रोप वे को हरी झंडी दिखाई थी और योजना को जमीन पर उतारा गया था।

 

सपा सरकार में रोपवे का हुआ था उद्घाटन
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2016 में समाजवादी प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पीपीपी मॉडल पर बरसाना में रोपवे का उद्घाटन किया था और युद्ध स्तर पर काम शुरू हो गया था, तभी विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा सरकार में सूबे की कमान सम्हाली और रोपवे मसला ठंडे बस्ते में चला गया।

 

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