लखनऊ

बात पते की: समय पर ड्यूटी का संस्कार किस सरकार में रहा, किसमें ढीला पड़ा—महापौर का निरीक्षण बना सबूत!

बात पते की: अफसरों की कुर्सी पर ताले, महापौर बनी ‘निरीक्षक नंबर-1’

 


बात पते की: समय पर ड्यूटी का संस्कार किस सरकार में रहा, किसमें ढीला पड़ा—महापौर का निरीक्षण बना सबूत!

लखनऊ।
उत्तर प्रदेश की सत्ता बदलने के साथ-साथ सरकारी दफ्तरों का अनुशासन भी बदलता रहा है। कभी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के कार्यकाल में अधिकारी अपनी कुर्सी पर समय से बैठने को मजबूर रहते थे, क्योंकि यह डर बना रहता था कि ‘बहनजी’ कब, कहां और कैसे अचानक निरीक्षण कर लें, किसी को भनक तक नहीं लगती थी। यही वजह थी कि आला अफसर से लेकर बाबू तक सुबह समय से हाज़िर रहते थे।

फिर आई सपा की अखिलेश सरकार—और वही पुराना ढर्रा लौट आया। लेट-लतीफी और ढीली कार्यशैली दफ्तरों में घर कर गई। जब बीजेपी की योगी सरकार सत्ता में आई तो शुरूआती दिनों में एक बार फिर अनुशासन का माहौल बना, अधिकारी वक्त पर कुर्सी पर बैठने लगे। लेकिन अब मामला फिर से रामराज्य सरीखा होता जा रहा है—जहां जनता परेशान और अफसर नदारद।

इसका जीता-जागता सबूत गुरुवार को नगर निगम मुख्यालय, लालबाग में दिखाई दिया। सुबह 11 बजे तक नगर निगम के आला अफसर अपनी कुर्सियों से नदारद थे। महापौर ने जब औचक निरीक्षण किया तो सच्चाई चौंकाने वाली थी।

महापौर अपनी टीम के साथ सुबह 10 बजे ही निगम मुख्यालय पहुँच गईं। जनता से लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उन्होंने सभी गेटों पर ताले डलवाए और एक-एक कमरे में जाकर जांच शुरू की। नतीजा—11 बजे तक न तो अफसर अपनी ड्यूटी पर थे और न ही जिम्मेदारी का कोई अता-पता। दफ्तरों में चपरासी जरूर मौजूद थे, लेकिन बड़े अधिकारी गायब।

जब महापौर ने नगर आयुक्त गौरव कुमार से सवाल किया तो वे भले ही अपनी कुर्सी पर मिले, मगर अन्य चार नगर आयुक्तों के बारे में पूछने पर स्थिति साफ हुई। दो नगर आयुक्त—ललित कुमार और डॉ. अरविंद कुमार राव—छुट्टी पर निकले, लेकिन इसकी जानकारी महापौर तक क्यों नहीं पहुंची, इस पर उन्होंने तीखा एतराज़ जताया। बाकी दो भी समय से अनुपस्थित पाए गए।

महापौर ने तल्ख लहजे में कहा—

“यह काम नगर आयुक्त को खुद करना चाहिए, लेकिन मजबूरन मुझे जनता की शिकायतों पर सच्चाई देखने आना पड़ रहा है। अगर यही हाल रहा तो मैं मुख्यमंत्री तक शिकायत करने से पीछे नहीं हटूँगी।”

दरअसल, ये वही हालात हैं जो सरकारी व्यवस्था की सच्चाई को उजागर करते हैं—सत्ता बदली, लेकिन अफसरों की ढर्रे वाली आदतें वही की वही।



बात पते की: अफसरों की कुर्सी पर ताले, महापौर बनी ‘निरीक्षक नंबर-1’

👉 मायावती के दौर में अफसर वक्त के पाबंद…
👉 अखिलेश के राज में फिर लेट-लतीफी…
👉 योगी के शुरूआती शासन में अनुशासन…अब फिर रामराज्य वाली ढिलाई!


🕙 10 बजे पहुंची मेयर, 11 बजे तक कुर्सी खाली
जनता की शिकायतों पर गुरुवार को महापौर लालबाग स्थित नगर निगम मुख्यालय पहुंचीं। 10 बजे गेट पर ताला, और 11 बजे तक बड़े अफसर कुर्सी से नदारद!


📌 चपरासी ड्यूटी पर, अफसर गायब!
निरीक्षण के दौरान हर कमरे में बस चपरासी मिले। बाकी अधिकारियों की कुर्सियां खाली। महापौर ने तल्ख अंदाज में कहा—“जनता शिकायत लेकर आती है, और सुबह के वक्त यहां अफसर ही नहीं मिलते।”


नगर आयुक्त से भी सवाल-जवाब
नगर आयुक्त गौरव कुमार भले समय से अपने कमरे में मौजूद मिले, लेकिन बाकी चार नगर आयुक्तों का हिसाब पूछने पर मामला गड़बड़ाया। दो छुट्टी पर निकले, बाकी दो गायब।


🔥 महापौर का सख्त तेवर—सीएम तक होगी शिकायत!
महापौर ने कहा—
“जो काम नगर आयुक्त को करना चाहिए, वह मुझे करना पड़ रहा है। जनता की परेशानी समझनी होगी, वरना मैं मुख्यमंत्री तक बात ले जाऊँगी।”


मेयर मैडम ने लगाया गेट पर ताला’ – देर से आए अफसरों की लगी क्लास, मुख्य अभियंता रह गए बाहर!

जो साहब लग्जरी गाड़ी से उतरते सलामी लेते हुए अपने AC रूम में पहुच जाते थे आज वही दफ्तर के मुख्य द्वार पर ताला खुलने का कर रहे इंतजार

नगर निगम मुख्यालय में आज सुबह नज़ारा कुछ अलग ही था। रोज़ाना फाइलों और शिकायतों से घिरी रहने वाली मेयर मैडम इस बार घड़ी की सुई पकड़कर अफसरों के पीछे पड़ गईं।

सुबह जैसे ही दफ़्तर पहुँचीं, देखा कि कई बड़े-बड़े अफसर अभी तक आराम से चाय सुड़क रहे होंगे या ट्रैफिक का बहाना बनाते होंगे। बस फिर क्या था! मेयर मैडम ने ‘समयपालन अभियान’ की शुरुआत करते हुए दफ़्तर का मुख्य गेट अंदर से बंद करवा दिया।

अब असली ड्रामा शुरू हुआ—मुख्य अभियंता महेश वर्मा साहब जब आराम से ऑफिस पहुँचे तो देखा गेट पर ताला लटका है। बेचारे बाहर खड़े-खड़े बार-बार घड़ी देखते रहे और सोचते रहे कि क्या अब फाइलों की जगह ताला तोड़ना पड़ेगा?

भीतर से मेयर मैडम ने खिड़की खोलकर मुस्कुराते हुए कहा—
समय से आओ, वरना ताला पाओ!”

कार्यालय का माहौल एकदम क्लासरूम जैसा हो गया, जहाँ हेडमास्टर मेयर मैडम थीं और लेट-लतीफ अफसर ‘लापरवाह स्टूडेंट’।‼️

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