बिजली उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत बन सकती है नई वर्टिकल व्यवस्था 1 नवम्बर से लखनऊ में लागू होगी नई प्रणाली
1 नवम्बर से लखनऊ में लागू होगी नई प्रणाली – बरेली व कानपुर के अनुभवों से बढ़ी चिंता

रितेश श्रीवास्तव-ऋतुराज-स्टार न्यूज भारत
बिजली उपभोक्ताओं के लिए मुसीबत बन सकती है नई वर्टिकल व्यवस्था
1 नवम्बर से लखनऊ में लागू होगी नई प्रणाली – बरेली व कानपुर के अनुभवों से बढ़ी चिंता
⚡ उपभोक्ता और कर्मचारी दोनों परेशान होंगे
ऊर्जा विभाग की वर्टिकल व्यवस्था अब लखनऊ में 1 नवम्बर से लागू होने जा रही है।
कागज़ पर यह प्रणाली आधुनिक और प्रभावी दिखाई देती है, लेकिन हकीकत में इससे उपभोक्ता और कर्मचारी दोनों परेशान होंगे।
📌 बिजली कर्मचारियो के कार्यभार का असंतुलन
- वर्तमान में एक अवर अभियंता (JE) के पास केवल 1 सबस्टेशन और लगभग 15,000–20,000 उपभोक्ता रहते हैं।
- नई व्यवस्था में एक ही JE के जिम्मे 8 सबस्टेशन और 1 लाख से अधिक उपभोक्ता होंगे।
- दो सहायक अभियंताओं (AE) का काम भी अब एक ही AE को करना पड़ेगा।
- यहां तक कि अधिशासी अभियंता (EE) का हिस्सा भी JE को उठाना पड़ेगा।
➡ इसका सीधा असर यह होगा कि यदि एक ही समय पर कई जगह सप्लाई बाधित हो जाए तो JE यह तय ही नहीं कर पाएगा कि पहले किसको ठीक करे। लाखों उपभोक्ता बिजली कटौती की मार झेलेंगे।
⚖️ अधिकारियों के कार्यभार का असमान बंटवारा
नई प्रणाली में काम का बोझ संतुलित नहीं है।
कुछ अधिकारियों पर अत्यधिक काम का दबाव होगा, जबकि कुछ के पास कम जिम्मेदारी बचेगी।
इससे न तो कार्यकुशलता बनी रहेगी और न ही उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।
📍 असफल प्रयोग का गवाह बना : कानपुर
जब केस्को, कानपुर में वर्टिकल व्यवस्था लागू की गई थी, तो स्थिति बेहद खराब हो गई थी।
- जगह-जगह सप्लाई बाधित हो गई।
- उपभोक्ता घंटों अंधेरे में रहे।
- नाराज जनता ने भयंकर रोड जाम किए।
यानी, यह प्रयोग पहले ही पूरी तरह असफल साबित हो चुका है।
📰 बरेली के बद से बदतर हुए हालात
बरेली में भी वर्टिकल व्यवस्था का असर साफ दिखा।
हाल ही में यूपीपीसीएल चेयरमैन आशीष गोयल जब बिजली व्यवस्था की समीक्षा करने पहुंचे तो कर्मचारियों ने साफ कहा—
📢 “एक कंप्यूटर है और सैकड़ों शिकायतें हैं, हम कैसे निपटें?”
वहीं उपभोक्ता बोले—
📢 “पहले बिजली घर पर आते ही काम हो जाता था, इलाके का अधिकारी पहचानता भी था। अब शिकायत ऊपर जाकर अटक जाती है।”
🗣️ कानपुर विधायक का बयान
कानपुर में भी उपभोक्ता परेशान हैं।
छोटी-छोटी शिकायतें समय पर न सुलझने पर भाजपा विधायक सुरेंद्र मैथानी ने नाराजगी जताई।
📢 “बिजली व्यवस्था पूरी तरह बदहाल है। पहले शिकायतें बिजली घर स्तर पर ही दूर हो जाती थीं, अब नंबर आने पर ही काम होता है। बिजली और पानी जीवन की सबसे बड़ी जरूरत हैं। अगर बिजली ही नहीं रहेगी तो पानी कहां से आएगा?”
उन्होंने चेतावनी दी कि जरूरत पड़ने पर ऊर्जा मंत्री से भी मिलेंगे।
🏭 व्यापारियों की चिंता
भारतीय उद्योग व्यापार मंडल, बरेली ने कहा—
📢 “औद्योगिक इलाकों में बिजली ट्रिपिंग जरूरत से ज्यादा बढ़ गई है। पहले JE स्तर पर समस्या हल हो जाती थी, अब कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है।”
व्यापारियों की मांग है कि पुरानी व्यवस्था की तरह JE की सीधी तैनाती हो।
⚠️ लखनऊ में होगा बड़ा संकट
बिजली संगठनों ने चेतावनी दी है कि—
📢 “जब बरेली और कानपुर जैसे शहरों में, जिनकी आबादी लखनऊ से आधी है, यह व्यवस्था फेल हो रही है तो लखनऊ का क्या हाल होगा?”
1 नवम्बर से यह व्यवस्था राजधानी लखनऊ में लागू होने वाली है।
इसकी पूरी जिम्मेदारी अधीक्षण अभियंता (SE) पर होगी।
➡ विशेषज्ञों का मानना है कि शिकायतें अब ऊपर से नीचे आएंगी, जिससे समाधान में लंबा विलंब होगा।
➡ उपभोक्ताओं को और ज्यादा दिक्कतें झेलनी पड़ेंगी।
🔎 लोगो की राय
नई वर्टिकल व्यवस्था का न तो उपभोक्ताओं को फायदा मिलेगा, न कर्मचारियों को राहत।
बल्कि—
-
बिजली सप्लाई और ज्यादा खराब होगी,
-
शिकायतों का समाधान समय पर नहीं होगा,
-
और विभाग की साख पर गंभीर असर पड़ेगा।
👉 बिजली संगठनों का कहना है कि ऊर्जा विभाग को चाहिए कि इस असफल प्रयोग को लागू करने के बजाय मौजूदा प्रणाली को और मजबूत बनाए, अन्यथा यह कदम पूरे विभाग को संकट और बदनामी की ओर ले जाएगा।



