लखनऊ

क्या होते है डग्गामार वाहन-क्यों लॉस हो रहा रोडवेज को-पढ़े पूरी खबर—-

लखनऊ: डग्गामार वाहनों की भरमार से परिवहन निगम को भारी नुकसान

रितेश श्रीवास्तव-ऋतुराज

लखनऊ। राजधानी के कमता स्थित अवध बस स्टैंड के बाहर डग्गामार वाहनों का आतंक दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बस स्टैंड के सामने अनधिकृत रूप से निजी वाहन खड़े होकर यात्रियों को जबरन कम किराए का लालच देकर बैठा लेते हैं। इससे जहां परिवहन निगम की सवारियाँ घट रही हैं, वहीं सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान झेलना पड़ रहा है।

पूर्वांचल की ओर जाने वाली सवारियों पर इन अवैध संचालकों की सबसे ज्यादा नजर रहती है। गोरखपुर, देवरिया, सिद्धार्थनगर, बस्ती, खलीलाबाद, गोंडा, बहराइच, अयोध्या और अंबेडकरनगर जाने वाले यात्रियों को ये निजी चालक बीच रास्ते से उठाकर अपने वाहनों में बिठा लेते हैं। यात्रियों को सस्ती यात्रा का लालच देकर यह संचालक उन्हें सरकारी बसों तक पहुँचने ही नहीं देते।

स्टेशन इंचार्ज का कहना है कि वह पुलिस की मदद से कई बार ऐसे वाहनों को हटवाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन इसका कोई स्थायी असर नहीं हो रहा। रोजाना बड़ी संख्या में डग्गामार वाहन बस अड्डे के सामने धड़ल्ले से खड़े रहते हैं और खुलेआम सवारियाँ उठाते हैं।

क्या है डग्गामार वाहन?
डग्गामार वाहन वे प्राइवेट गाड़ियाँ होती हैं जो बिना परमिट और लाइसेंस के यात्रियों का संचालन करती हैं। यह पूरी तरह गैरकानूनी है और ऐसे वाहनों में न तो यात्रियों की सुरक्षा की गारंटी होती है और न ही बीमा जैसी कोई सुविधा। सरकार को टैक्स और परमिट शुल्क का नुकसान अलग से होता है।

परिवहन विभाग और पुलिस के लिए यह बड़ी चुनौती बनी हुई है कि आखिर इन अवैध वाहनों पर कब तक रोक लगेगी और यात्रियों को सुरक्षित व व्यवस्थित परिवहन सुविधा कब तक मिल पाएगी।

डग्गामार वाहन क्या होते हैं?

डग्गामार वाहन वे निजी गाड़ियाँ (जैसे जीप, मैक्सी कैब, प्राइवेट बस, टाटा मैजिक, सवारी गाड़ियाँ आदि) होते हैं, जो बिना किसी वैध परमिट, रूट या लाइसेंस के अवैध रूप से यात्रियों का संचालन करती हैं। ये वाहन सड़क पर चल तो रहे होते हैं लेकिन परिवहन विभाग के नियमों और सुरक्षा मानकों का पालन नहीं करते। इन्हें न तो सरकार से अनुमति प्राप्त होती है और न ही यात्री बीमा या अन्य सुविधाएँ यात्रियों को मिलती हैं।

मुख्य विशेषताएँ डग्गामार वाहनों की –

  • यह वाहन अधिकतर बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन या मुख्य बाजारों के पास यात्रियों को जबरन रोककर या कम किराए का लालच देकर बैठाते हैं।
  • इनसे सरकार को भारी राजस्व नुकसान होता है क्योंकि ये टैक्स, परमिट शुल्क या फिटनेस शुल्क नहीं चुकाते।
  • यात्रियों की सुरक्षा पर खतरा रहता है क्योंकि वाहन फिटनेस टेस्ट या निर्धारित मानकों से नहीं गुजरते।
  • कई बार ड्राइवर के पास वैध ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं होता।

परिवहन विभाग पर क्या होता असर

  • यूपी परिवहन निगम की बसों की सवारियाँ घटती हैं, जिससे सरकारी राजस्व को सीधा नुकसान होता है।
  • बस स्टैंड पर अनियमितता और अव्यवस्था फैलती है।
  • यात्री दुर्घटना, ठगी और असुरक्षा जैसी समस्याओं के शिकार हो सकते हैं।

👉 , डग्गामार वाहन “अनधिकृत अवैध यात्री वाहन” होते हैं जो कानूनन अपराध की श्रेणी में आते हैं और इन्हें रोकना पुलिस व परिवहन विभाग की बड़ी चुनौती बनी रहती है।

 

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