लखनऊ नगर निगम: सफाई व्यवस्था में भारी असमानता, 22 वार्ड केवल 2 सफाई निरीक्षकों के भरोसे!

लखनऊ नगर निगम: सफाई व्यवस्था में भारी असमानता, 22 वार्ड केवल 2 निरीक्षकों के भरोसे!
रितेश श्रीवास्तव-ऋतुराज
लखनऊ।
नगर निगम की सफाई व्यवस्था में जोनवार असमान कार्य बंटवारे ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। राजधानी के 110 वार्ड और 8 जोन में ज़िम्मेदारियां बांटी तो गई हैं, लेकिन हकीकत यह है कि कहीं 9 वार्ड पर 3 सफाई निरीक्षक तैनात हैं तो कहीं 22 वार्ड की जिम्मेदारी केवल 2 निरीक्षकों के कंधों पर लाद दी गई है। ऐसे में साफ है कि लखनऊ की सफाई व्यवस्था का पूरा तंत्र असंतुलन का शिकार है।
सबसे खराब हालात जोन 6 में
सबसे अधिक 22 वार्ड जोन-6 में आते हैं। हैरानी की बात यह है कि यहां कोई ज़ोनल सेनेटरी अधिकारी (ZSO) नहीं है और पूरे 22 वार्ड को संभालने के लिए केवल 2 सफाई निरीक्षक तैनात हैं। यही नहीं, यहां के जोनल अधिकारी को ही ZSO की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ रही है, जबकि उन्हीं के कंधों पर टैक्स वसूली का दारोमदार भी है। नतीजा यह कि न सफाई व्यवस्था ठीक से हो पा रही है और न ही राजस्व वसूली का काम सुचारू ढंग से चल पा रहा है। यह स्थिति साफ दिखाती है कि यहां सफाई व्यवस्था भगवान भरोसे है।
जोन 8 में भी अराजक स्थिति
13 वार्ड वाले जोन-8 में भले ही CSFI नईम और 3 सफाई निरीक्षक (वीर भद्र, सुमित, आकांक्षा) मौजूद हैं, लेकिन यहां भी ZSO का पद खाली है। यहां के जोनल अधिकारी को ही सफाई व्यवस्था का काम देखना पड़ रहा है, जबकि उन पर भी टैक्स वसूली का सीधा दबाव रहता है। इससे साफ है कि निगम की कार्यप्रणाली में गंभीर असंतुलन है।
बाकी जोनों में तैनाती देखें तो चौंक जाएंगे
जोन-1 (12 वार्ड): प्रभारी ZSO कुलदीपक के साथ 3 निरीक्षक (सतीश, सुनील, संजीव)।
जोन-2 (11 वार्ड): ZSO राम सकल यादव के साथ 2 निरीक्षक (सचिन, राजेश)।
जोन-3 (19 वार्ड): ZSO जितेन्द्र गांधी (CSFI) के साथ 5 निरीक्षक (प्रमोद, सत्येन्द्र, पुष्कर, संचित, विषुद्धानंद त्रिपाठी)।
जोन-4 (10 वार्ड): ZSO पंकज शुक्ला, CSFI हर्ष शुक्ला सहित 4 निरीक्षक।
जोन-5 (9 वार्ड): प्रभारी ZSO राजेश और 3 निरीक्षक।
जोन-7 (14 वार्ड): ZSO देवेंद्र वर्मा और 3 निरीक्षक।

असमानता पर उठ रहे सवाल
जब 9 या 10 वार्ड के लिए 3–4 निरीक्षक तैनात हैं, तो 22 वार्ड के लिए केवल 2 निरीक्षक क्यों? यह सवाल सीधे-सीधे नगर आयुक्त की कार्यप्रणाली और प्राथमिकता पर सवाल खड़ा करता है। क्या निगम प्रशासन जिम्मेदारियों का समान वितरण करने में नाकाम है?
जनता का आरोप – सफाई पर राजनीति हावी
स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम में तैनाती व्यवस्था “वार्ड और जोन की वास्तविक ज़रूरत” के बजाय “पसंद-नापसंद” और “ब्यूरोक्रेटिक राजनीति” के आधार पर की जाती है। यही कारण है कि कुछ ज़ोन में सफाई निरीक्षकों की भरमार है जबकि बड़े जोनों में कर्मचारियों की भारी कमी है।
लखनऊ नगर निगम की सफाई व्यवस्था में यह असमानता साफ दर्शाती है कि नगर आयुक्त की टीम ज़िम्मेदारियों का सही बंटवारा करने में नाकाम रही है। सवाल यह है कि क्या अब नगर आयुक्त इस व्यवस्था को संतुलित करेंगे या फिर लखनऊ की सड़कों पर गंदगी का ढेर इसी तरह नगर निगम की लापरवाही की पोल खोलता रहेगा?



