लखनऊ-अलीगंज में जर्जर भवन बना जान का खतरा कहीं देरी ने ले ली जान, तो कौन होगा जिम्मेदार?

भयावह इंतजार या प्रशासनिक लाचारगी? अलीगंज में जर्जर भवन बना जान का खतरा
कहीं देरी ने ले ली जान, तो कौन होगा जिम्मेदार?
लखनऊ, अलीगंज | शहर के हृदयस्थल कहे जाने वाले अलीगंज में एक जर्जर भवन मौत को दावत दे रहा है। बीते तीन दिनों से आमजन का रास्ता बंद है, व्यापारी त्रस्त हैं और आस-पास के नागरिकों के चेहरों पर खौफ साफ देखा जा सकता है। लेकिन प्रशासनिक अमला—माननीय एमएलसी, महापौर से लेकर नगर आयुक्त तक—सिर्फ “निरीक्षण” तक ही सिमट गया है। और तो और पूरा नगर निगम फाट पड़ा जोंनल से लेकर ऐ ई जेई एक्सईएन बिल्डिंग को मन ही मन मे मिनटों में गिराने की योजना भी बना चुके थे नतीजा? वही ढाक के तीन पात।
भवन की हालत ऐसी है कि कोई भी हलचल, बारिश या हल्का झटका इसे धराशायी कर सकता है। स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों की चिंता लगातार बढ़ रही है, पर अफसरशाही “विवाद न्यायालय में लंबित” का बहाना बनाकर हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
नगर निगम के पास जेसीबी तैयार है, लेकिन प्रशासन की हिम्मत कोर्ट के “एस्टे ऑर्डर” से बंधी हुई है। सवाल उठता है—क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार किया जा रहा है?
निरीक्षण की प्रक्रिया ऐसी दिखाई दी जैसे मानो कोई आपदा टल गई हो, लेकिन हकीकत यह है कि आज भी खतरा ज्यों का त्यों खड़ा है। तीन पक्षों में चल रहा विवाद अब सैकड़ों जिंदगियों पर भारी पड़ रहा है।
स्थानीय दुकानदारों का धैर्य जवाब दे चुका है। उनका कहना है कि —
“व्यापार ठप है, ग्राहक नहीं आ रहे। ऊपर से जान का खतरा। अगर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर सकता, तो हमें बता दे, हम खुद हल निकाल लेंगे!”
सवाल यह है कि अगर न्यायालय में मामला लंबित है तो क्या प्रशासन के हाथ पूरी तरह बंधे हैं? क्या किसी मौत के बाद ही यह कागजी जाल टूटेगा?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन ‘कागजों’ से ऊपर उठकर निर्णय लेता है या फिर एक और दुर्घटना के बाद ‘मुआवजे’ की प्रेस विज्ञप्ति जारी की जाएगी।
🛑 फिलहाल अलीगंज का यह भवन न केवल एक जर्जर ढांचा है, बल्कि प्रशासनिक सुस्ती और कानूनी पेचीदगियों का खतरनाक प्रतीक बन चुका है।
✍️ रिपोर्ट – स्टार न्यूज़ भारत डिजिटल
📍 स्थान – अलीगंज, लखनऊ



