नगर निगम में हजारों भवन कर निर्धारण से अछूते-टैक्स रिवाइज की अनदेखी
नगर निगम में भवन कर निर्धारण की अनदेखी, राजस्व बढ़ोतरी की अपार संभावना

🏛️ नगर निगम में भवन कर निर्धारण की अनदेखी, राजस्व बढ़ोतरी की अपार संभावना
लखनऊ/उत्तर प्रदेश:
नगर निगम प्रशासन की कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। शहर में अनेक ऐसे भवन और कमर्शियल इमारतें मौजूद हैं, जिनका कर निर्धारण वर्षों पहले किया गया था, लेकिन उसके बाद इन भवनों में कई गुना अधिक निर्माण कार्य हो चुका है। इसके बावजूद कर रिवाइज (पुनर्निर्धारण) की प्रक्रिया अब तक नहीं की गई है।
स्थानीय नागरिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि नगर निगम यदि ऐसे भवनों की गहन जांच कराए, तो कर निर्धारण की विसंगतियाँ उजागर हो सकती हैं। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि पहले कितने वर्गफुट का निर्माण था और अब कितने वर्गफुट का हो चुका है।
विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्व निरीक्षक यदि क्षेत्रवार भवनों की ईमानदारी से जांच करें, तो नगर निगम के राजस्व में करोड़ों रुपये की वृद्धि संभव है। यह न केवल नगर निगम की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकता है, बल्कि बकाया करों की वसूली भी सुनिश्चित की जा सकती है।
नगर निगम के अधिकारियों को चाहिए कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और डिजिटल सर्वे या ड्रोन सर्वेक्षण जैसे आधुनिक तरीकों की मदद से भवनों की वास्तविक स्थिति का आकलन करें।
नगर निगम लखनऊ में 8 जोंन है जिनमे हजारों भवन ऐसे है जो कि वर्षों पहले असेसमेंट कराए है और उसी का टैक्स जमा कर रहे है,यदि उन भवनों की जांच की जाय तो करोड़ो का टैक्स अर्जित किया जा सकता है
📌 प्रश्न यह उठता है कि नगर निगम कब तक इस लापरवाही को नज़रअंदाज़ करता रहेगा?
क्या अब समय नहीं आ गया है कि कर रिवाइज प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाए?



