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लखनऊ में प्रतिबंधित पॉलिथिन पर कार्रवाई का हाल: कुछ जोन सतर्क तो कई जोन पूरी तरह फेल!

पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा

लखनऊ में प्रतिबंधित पॉलिथिन पर कार्रवाई का हाल: कुछ जोन सतर्क तो कई जोन पूरी तरह फेल!

लखनऊ, जुलाई 2025:
राज्य सरकार द्वारा बार-बार सख्त निर्देशों के बावजूद लखनऊ नगर निगम के आठों जोनों में प्रतिबंधित पॉलिथिन पर की गई कार्रवाई का हाल चौंकाने वाला है। कहीं सफाई निरीक्षक और जोनल सैनेटरी अफसर फील्ड में मुस्तैद दिखे तो कहीं केवल खानापूर्ति होती रही। नगर निगम मुख्यालय स्थित वीआईपी जोन-1 की हालत यह है कि जुलाई महीने में मात्र ₹1000 का जुर्माना ही वसूला गया है — वो भी तब जब यही इलाका प्रशासन की सबसे सीधी निगरानी में रहता है।

👇 जोनवार जुर्माने का आंकड़ा:

  • जोन-1 (मुख्यालय क्षेत्र): ₹1,000
  • जोन-2: ₹4,100
  • जोन-3: ₹60,000 (सबसे अधिक)
  • जोन-4: ₹5,400
  • जोन-5: ₹5,500
  • जोन-6: ₹7,600
  • जोन-7: ₹2,800
  • जोन-8: ₹10,300

कुल मिलाकर जुलाई में पूरे शहर से लगभग ₹1 लाख का जुर्माना वसूला गया, जो नगर निगम के दावों की तुलना में न के बराबर है। आंकड़ों से साफ है कि कार्रवाई में गंभीरता का अभाव है। कई जोनों में निरीक्षण के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई हुई।

🚨 सवाल खड़े करती है यह निष्क्रियता:

  • जोन-3 ने जहां अभियान चलाकर 60 हजार की वसूली की, वहीं बाकी जोनों में इतनी कम कार्रवाई क्यों?
  • क्या जोनल सैनेटरी अफसर और सफाई निरीक्षकों की टीम फील्ड पर उतर ही नहीं रही?
  • या फिर कार्रवाई के नाम पर महज़ खानापूर्ति की जा रही है?

🧹 नगर आयुक्त की नजरों से दूर?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह रिपोर्ट नगर आयुक्त तक नहीं पहुंची है? अगर पहुंची है, तो अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? प्रतिबंधित पॉलिथिन न केवल पर्यावरण बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद घातक है। बावजूद इसके कुछ जोनों की ढिलाई इस बात का संकेत है कि या तो जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे या फिर पूरे अभियान को लेकर स्पष्ट नीति का अभाव है।

🌿 पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा

यह सभी जानते हैं कि पॉलिथिन मिट्टी, जल और पशुओं के लिए कितना खतरनाक है। इसके इस्तेमाल पर प्रतिबंध केवल कागजों तक सीमित रह जाए, तो भविष्य में इसके गंभीर दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।


📌 अब जरूरत है एक ठोस शहरव्यापी अभियान की — जिसमें हर जोन बराबरी से जिम्मेदारी निभाए और निष्क्रिय जोनों के अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।

खबर लिखे जाने तक का आंकड़ा

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