Lucknow-बजट कोई पोस्टकार्ड नहीं होता जो चपरासी के हाथ भेज दिया जाए। यह शहर के विकास का ब्लूप्रिंट है, खिलवाड़ नहीं!- महापौर

नगर निगम प्रशासन की लापरवाही पर भड़की महापौर — कहा, “जनप्रतिनिधियों और जनता दोनों का हो रहा अपमान”
- लखनऊ में कार्यकारिणी की बैठक रही बेनतीजा, महापौर ने जताई कड़ी नाराजगी और स्थगित की बैठक
लखनऊ। नगर निगम लखनऊ की कार्यकारिणी की गुरुवार को हुई बैठक एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और उदासीनता की भेंट चढ़ गई। बैठक की अध्यक्षता माननीय महापौर श्रीमती सुषमा खर्कवाल ने की, लेकिन प्रशासनिक अफसरों के रवैये पर उनकी नाराजगी साफ झलकी। उन्होंने तल्ख लहजे में कहा कि “नगर निगम प्रशासन की निष्क्रियता अब असहनीय हो चुकी है — जनता और जनप्रतिनिधियों दोनों का खुला अपमान हो रहा है।”
महापौर ने कहा कि कार्यकारिणी और सदन दोनों मिलकर जनहित के फैसले लेते हैं, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर उनका पालन नहीं किया जा रहा। “यह स्थिति न केवल लापरवाही है, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का उपहास भी है,” उन्होंने कहा। महापौर ने स्पष्ट कहा कि सरकारी धन और समय की बर्बादी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर जवाबदेही तय करनी होगी।
उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा — “यदि प्रशासन ने पूर्व के निर्णयों का अनुपालन शीघ्र नहीं किया, तो अगली कार्यकारिणी बैठक नहीं बुलाई जाएगी।”
महापौर ने यह भी जोड़ा कि शहर की सफाई, मार्ग प्रकाश, जलभराव, मृतक आश्रितों के अधिकार, और निगम भूमियों पर कब्जे जैसे मुद्दे अब जनता के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं।
पुनरीक्षित बजट पर महापौर का हमला — “डाक से भेजा गया बजट, यह कोई मजाक है क्या?”
महापौर ने कहा कि पुनरीक्षित बजट जैसी गोपनीय प्रक्रिया पर जिस तरह की उदासीनता दिखाई गई, वह चौंकाने वाली है। “बजट चर्चा का विषय होता है, लेकिन प्रशासन ने उसे सिर्फ चपरासी के हाथ भेज दिया। यह न केवल प्रक्रियागत गलती है, बल्कि जिम्मेदारी से भागने का प्रमाण है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने कहा कि “बजट कोई औपचारिक कागज नहीं, बल्कि शहर के विकास की दिशा तय करता है। प्रशासन को समझना होगा कि जनता का पैसा खिलवाड़ नहीं है।”
“जनप्रतिनिधि जनता की आवाज़ हैं” — महापौर का दो टूक संदेश
महापौर ने कहा कि लखनऊ की जनता ने हम पर भरोसा जताया है, और यह हमारा दायित्व है कि उस विश्वास की रक्षा करें। “अगर नगर निगम प्रशासन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करेगा, तो वह दरअसल जनता का ही अपमान करेगा।”
उन्होंने कहा कि जब तक नगर निगम प्रशासन पारदर्शिता और जवाबदेही नहीं दिखाता, तब तक लखनऊ के विकास की गति थम कर रह जाएगी।
अंत में महापौर ने कहा — “जनता का पैसा और प्रतिनिधियों का समय दोनों बर्बाद करना अब और बर्दाश्त नहीं होगा।”



