लखनऊ

अवैध बता छोटी सी दुकान सील कर दी LDA के जोनल अफसर ने , रसूखदार की साजिश में फंसा आम नागरिक!

वही इस पूरे मामले को ग्रेटर लखनऊ जनकल्याण महासमिति के महासचिव विवेक शर्मा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए LDA की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है

 


छोटी सी दुकान सील कराने पहुंचा जोनल अफसर, रसूखदार की साजिश में फंसा आम नागरिक!

📍 जोन 5, लखनऊ विकास प्राधिकरण | रिपोर्ट: स्टार न्यूज़ भारत टीम

लखनऊ: शहरी विकास विभाग के ज़ोन-5 में एक बेहद हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां आम नागरिक को न्याय की उम्मीद में शिकायत करना भारी पड़ गया।

पीड़ित रंजीत सिंह का आरोप है कि उन्हें LDA द्वारा आवंटित एक छोटे से दुकान पर वैध निर्माण के दौरान ज़ोनल अधिकारी माधवेश कुमार स्वयं मौके पर पहुंच कर दुकान को सील कर गए। सवाल ये उठता है कि जिस अफसर को क्षेत्र की अवैध बहुमंजिला बिल्डिंगों तक पहुंचने की फुर्सत नहीं, वो एक साधारण दुकान को सील करने स्वयं क्यों पहुंचे?

सूत्रों के मुताबिक यह विवाद सेंट मैरी हॉस्पिटल के संचालक द्वारा अपनी जमीन के पीछे अवैध रूप से निकाले गए लगभग दो फीट टीन शेड को लेकर शुरू हुआ। उसी स्थान पर पीड़ित को एलडीए द्वारा प्लॉट आवंटित किया गया था, जिस पर वह अपनी जीवन की गाढ़ी कमाई लगाकर दुकान बना रहा था।

कुछ माह पूर्व पीड़ित रंजीत सिंह और अस्पताल प्रबंधन के बीच इस टीन शेड को हटाने को लेकर नोकझोंक हुई थी। जिसके बाद आरोप है कि अपने ऊंचे रसूख और राजनीतिक पैठ का इस्तेमाल करते हुए अस्पताल प्रबंधन ने एलडीए अधिकारियों पर दबाव बनाकर दुकान को “अवैध” घोषित करवा दिया।

विडंबना तो तब हुई जब पीड़ित ने IGRS पोर्टल पर शिकायत कर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन जांच और कार्रवाई की जगह उल्टा शिकायतकर्ता की ही निर्माणाधीन दुकान को सील कर दिया गया।

वीडियो फुटेज में ज़ोनल अधिकारी माधवेश कुमार खुद मौके पर पहुंचकर दुकान को सील करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि यह काम अधीनस्थ अधिकारी ही करते देखे जाते है।

प्रमुख सवाल जो उठ रहे हैं:

  • क्या एलडीए जैसे जिम्मेदार संस्थान में अब रसूखदारों की मनमानी पर मुहर लगाई जा रही है?

  • क्या जोनल अधिकारी माधवेश कुमार ने निष्पक्षता का पालन किया या दबाव में आकर कार्रवाई की?

  • एलडीए उपाध्यक्ष जैसे योग्य अधिकारी की मौजूदगी में ऐसे पक्षपाती कृत्य क्या संस्था की साख को बट्टा नहीं लगा रहे?

पीड़ित रंजीत सिंह का साफ आरोप है कि उन्होंने शिकायत की थी, लेकिन उल्टा उन्हें ही दोषी बना दिया गया और उनकी आधी-अधूरी दुकान पर ताला जड़ दिया गया।

अब सवाल यह नहीं कि दुकान वैध थी या अवैध… सवाल यह है कि क्या कानून सबके लिए बराबर है या फिर रसूख के आगे कानून भी झुक जाता है?

वही इस पूरे मामले को ग्रेटर लखनऊ जनकल्याण महासमिति के महासचिव विवेक शर्मा ने एक्स पर पोस्ट करते हुए LDA की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है


 

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