लखनऊ- 75 वर्षीय बुजुर्ग नगर आयुक्त की चौखट पर बैठा रहा नही मिले साहब

नगर आयुक्त से मुलाकात को तरसे 75 वर्षीय बुजुर्ग, 2 घंटे 40 मिनट तक किया इंतजार, मायूस होकर लौटे
लखनऊ। लालबाग स्थित नगर निगम कार्यालय में बुधवार को एक 75 वर्षीय बुजुर्ग नागरिक की फरियाद अनसुनी रह गई। अतिक्रमण की शिकायत लेकर पहुंचे बुजुर्ग ने बंगाली क्लब से लाटूश रोड तक फैले अवैध कब्जों की समस्या को लेकर नगर आयुक्त से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें दो घंटे चालीस मिनट तक इंतजार करने के बाद भी मुलाकात का अवसर नहीं मिला।
सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक नगर निगम कार्यालय में नगर आयुक्त के कक्ष के बाहर इंतजार करते रहे बुजुर्ग ने खुद बताया कि वे पूरे समय वहीं बैठे रहे, लेकिन न तो नगर आयुक्त मिले और न ही किसी अधिकारी या कर्मचारी ने उनकी बात सुनने की ज़हमत उठाई।
थक हारकर और निराश होकर बुजुर्ग आखिरकार वापस लौट गए। उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव में जब प्रशासनिक सहयोग की सबसे अधिक ज़रूरत होती है, तब यदि अधिकारी आम जनता से मिलने का समय भी न निकालें, तो फिर आम आदमी अपनी समस्याओं को लेकर कहां जाए?
इस घटना से नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। क्या नगर आयुक्त जैसे शीर्ष अधिकारी आम नागरिकों की फरियाद सुनने के लिए उपलब्ध नहीं हैं? क्या वरिष्ठ नागरिकों की समस्याएं इस प्रशासनिक व्यवस्था में कोई महत्व नहीं रखतीं?
जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन को अब यह सोचने की ज़रूरत है कि जनता के बीच विश्वास कैसे कायम किया जाए, जब उनके चुने हुए और नियुक्त अधिकारी ही अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लें।