देश-विदेशलखनऊ

अपेक्षा सक्सेना को मिला ‘हिंदी प्रेरणा सम्मान’ — नई पीढ़ी को मातृभाषा से जोड़ने वाली शिक्षिका बनीं प्रेरणा स्रोत

अपेक्षा सक्सेना को मिला ‘हिंदी प्रेरणा सम्मान’ — नई पीढ़ी को मातृभाषा से जोड़ने वाली शिक्षिका बनीं प्रेरणा स्रोत

Ritesh Srivastava

लखनऊ: मातृभाषा हिंदी को नई पीढ़ी के मन-मस्तिष्क तक पहुंचाने के अपने अथक प्रयासों के लिए सेठ एम.आर. जयपुरिया स्कूल, कुर्सी रोड की शिक्षिका अपेक्षा सक्सेना को ‘हिंदी प्रेरणा सम्मान’ से नवाजा गया है। यह सम्मान उन्हें हिंदी उत्कर्ष मंडल, दिल्ली द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड के अंतर्गत छात्रों को हिंदी के प्रति जागरूक और प्रेरित करने के लिए प्रदान किया गया।

अपेक्षा सक्सेना: एक शिक्षक, एक विचार,

अपेक्षा सक्सेना केवल हिंदी की शिक्षिका नहीं, बल्कि वह व्यक्तित्व हैं जो भाषा को भाव, विचार और संस्कार से जोड़ती हैं। उनके प्रयासों से न केवल छात्रों में हिंदी के प्रति रुचि बढ़ी, बल्कि उन्होंने यह सिद्ध किया कि तकनीक और आधुनिकता के इस युग में भी हिंदी का उज्ज्वल भविष्य संभव है।

उन्होंने कहा,
“हिंदी केवल भाषा नहीं, यह आत्मा है हमारे संस्कारों की, संस्कृति की और ज्ञान की। यदि हम हिंदी से जुड़े रहेंगे, तो जड़ों से भी जुड़े रहेंगे।”

विद्यालय परिवार ने जताया गर्व

सम्मान समारोह के दौरान स्कूल की प्रधानाचार्या हरप्रीत रेखी ने अपेक्षा सक्सेना को सम्मानित किया और कहा,
“अपेक्षा जैसे शिक्षक शिक्षा जगत की रीढ़ होते हैं, जो न केवल विषय पढ़ाते हैं, बल्कि जीवन के मूल्य भी सिखाते हैं।”

इस मौके पर स्कूल के समस्त शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे और इस गौरवपूर्ण क्षण के साक्षी बने। विद्यालय परिसर तालियों की गूंज और हिंदी की गरिमा से गूंज उठा।
अपेक्षा सक्सेना जैसे शिक्षक यह साबित करते हैं कि मातृभाषा को सिर्फ पढ़ाया नहीं जाता — उसे जिया जाता है, आत्मसात किया जाता है।

अपेक्षा सक्सेना ने सम्मान प्राप्त करने के बाद कहा,
“हिंदी केवल एक भाषा नहीं, यह हमारी संस्कृति, जड़ों और ज्ञान का स्रोत है। यह हमें सर्वज्ञान का बोध कराती है।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button