March 14, 2025

होली मिलन समारोह में नहीं पहुंचे पार्षद, महापौर करती रहीं इंतजार

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होली मिलन समारोह में नहीं पहुंचे पार्षद, महापौर करती रहीं इंतजार

👉होली मिलन समारोह में नहीं पहुंचे पार्षद, महापौर करती रहीं इंतजार

👉पार्षदो ने कहा मनमानी कर रही महापौर

👉होली मिलन समारोह में भी नही पहुचे पार्षद

👉सफेद पोश और ब्यापरियो का लगा रहा ताता-अपने ही नदारद

👉ऐसे रहेगा विरोध तो कैसे संवरेगा लखनऊ नगर का भविष्य

लखनऊ। लखनऊ नगर निगम की राजनीति में इन दिनों असंतोष का दौर जारी है। कभी अधिकारी नाराज दिखते हैं तो कभी पार्षदों की नाराजगी सुर्खियों में रहती है। इसी क्रम में महापौर सुषमा खर्कवाल द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में भी पार्षदों की नाराजगी साफ देखने को मिली। महापौर ने पार्षदों के लिए अपने कैंप कार्यालय में भव्य आयोजन किया, जिसमें शहर के प्रतिष्ठित लोग, भाजपा के वरिष्ठ नेता, नगर निगम के अधिकारी और संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए, लेकिन अधिकांश पार्षद नदारद रहे।

बजट बैठक की नाराजगी अब तक बरकरार

सूत्रों के मुताबिक, बीते दिनों नगर निगम की बजट बैठक में भाजपा के आठ पार्षदों की गैरमौजूदगी से उपजे विवाद का असर इस कार्यक्रम में भी दिखा। महापौर को उम्मीद थी कि नाराज पार्षद इस समारोह में शामिल होकर अपने मतभेद भुला देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पार्षदों ने समारोह से दूरी बनाकर अपने मौन विरोध को जारी रखा।

महापौर की कोशिशें नाकाम, पार्षदों की नाराजगी बरकरार

महापौर ने पार्षदों को मनाने के लिए हरसंभव प्रयास किया, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए। पार्षदों की इस नाराजगी के कारण नगर निगम की राजनीति गरमा गई है। अब बड़ा सवाल यह है कि महापौर आखिर इस असंतुष्ट कुनबे को कैसे अपने पाले में लाएंगी।

 

गिनती के कुल 28 पार्षद हुए आयोजन में शामिल

लखनऊ नगर निगम में कुल 110 पार्षद हैं जिनमें से 80 पार्षद भारतीय जनता पार्टी के हैं जानकारी के मुताबिक होली मिलन समारोह के आयोजन में 52 पार्षद नहीं पहुंचे अगर बात सपा और कांग्रेस की पार्षदों की करें तो 30 ऐसे पार्षद हैं जो इस आयोजन में कहीं भी नहीं देखे गए महापौर के मीडिया सेल द्वारा जानकारी दी गई कि कुल 28 पार्षद ही समारोह में शामिल हुए

 

जनता के कार्य प्रभावित, विकास कार्यों पर संकट

इस तनातनी का असर जनता के कार्यों पर भी पड़ रहा है। पार्षदों और नगर निगम प्रशासन के बीच बढ़ती दूरी से कई विकास कार्य प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में लखनऊ की जनता अब यह देखने के लिए उत्सुक है कि महापौर आक्रोशित पार्षदों को मनाने के लिए कौन सा नया कदम उठाएंगी या फिर यह गतिरोध और लंबा खिंचेगा।

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