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पैक्ड खाद्य पदार्थ बच्चों में बढ़ा रहा है मोटापे का खतरा-डॉ. हर्षिता गुप्ता

पोषण विशेषज्ञ

अनहेल्दी फूड, हाई शुगर, हाई बीपी, हाई कोलेस्ट्रॉल और अधिक वजन भारत में कुल बीमारी के बोझ को बढ़ाने में एक चौथाई योगदान दे रहा है। ऐसे कई कारण हैं जिनसे बच्चों व बड़ों की आहार संबंधी आदतें बदल रही हैं। लोग पैक्ड फूड व बाहर के पके हुए खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक मात्रा में कर रहे हैं बजाये घर में पके भोजन के। इसके अलावा, आसानी से उपलब्ध और आक्रामक रूप से मार्केटिंग किए जाने वाले चिप्स, इंस्टेंट नूडल्स, कोल्ड ड्रिंक और चॉकलेट जैसे पैक्ड खाद्य पदार्थ जो अल्ट्रा-प्रोसेस्ड होते हैं, इनका प्रयोग, सस्ते और ताजा-खाद्य विकल्पों की तुलना में अधिक बढ़ता जा रहा है। अधिकांश लोग जानते हैं की अधिक मात्रा में वसा, नमक या चीनी (एचएफएसएस) से भरपूर भोजन का अधिक सेवन मोटापे का करण है। लेकिन फिर भी वे पैक्ड फूड व बाहर के पके भोजन को अधिक महत्व दे रहे हैं। पैक्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स अब एक स्टेटस सिंबल बन गया है और लोगों में ये धारणा विकसित कर रहा है की पैक्ड फूड् में ज्यादा पोषक तत्त्व होते हैं, वह स्वस्थ्य के लिए ज़्यादा सुरक्षित है। लोगों में इस बारे में अभी भी जागरुकता बहुत कम है कि पैक्ड फूड में सूक्ष्म पोषक तत्वों और आहार फाइबर का स्तर बहुत निम्न और इनमें कई प्रकार के रासायनिक योजक भी शामिल होते हैं।

 

स्कूलों में एचएफएसएस भोजन का व्यापक रूप से सेवन किया जा रहा है। बढ़ते Non-Communicable Disease (एनसीडी) को रोकने के लिए स्कूली बच्चों के संपर्क में एचएफएसएस भोजन की उपलब्धता को सीमित करना बहुत आवश्यक है। मीडिया के द्वारा लुभावने विज्ञान दिखा कर और उनमें बच्चों को शामिल करके विभिन्न प्रकार से मार्केटिंग और प्रचार किया जा रहा है। सेलेब्रिटी भी इस प्रकार के पैक्ड फ़ूड को विज्ञापनों के माध्यम से बच्चों को लुभा रहे हैं। इसके अलावा हमारी फूड लेबलिंग नियामक प्रणाली भी पर्याप्त नहीं है। भारत में पैक्ड फूड के बढ़ते चलन को देखते हुए बच्चों के लिए आहार संबंधी आदतों के बारे में जानकारी भी बहुत सीमित है। ऐसे में पेरेंट्स भी बच्चों को बाहर का खाना खिलाने लग जाते हैं या घर में बच्चों के जिद करने पर वो बाहर से खाना ऑर्डर कर देते हैं। इस वजह से ना सिर्फ बच्चे मोटापे का बल्कि कुपोषण का शिकार भी हो रहे हैं। मोबाइल और टीवी देखते हुए खाना खाने की आदत के कारण बच्चे भोजन पर्याप्त मात्रा में नहीं ले रहे हैं ये भी कुपोषण का एक बड़ा कारण है।

आजकल बच्चे शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा कम लेते हैं और उसकी तुलना में जंक फूड का ज्यादा सेवन कर रहे हैं जिसमें अधिक मात्रा में कैलोरी होती है। जंक या प्रोसेस्ड फूड के अधिक उपयोग से बच्चों में इंसुलिन का स्तर भी बिगड़ रहा है जिससे बच्चों में हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज का खतरा बढ़ रहा है।

बच्चों में कुपोषण की स्थिति को कम करने के लिए माताएं बच्चों को टिफिन में बजाए ब्रेड जैम, नूडल्स, पैक्ड ड्रिंक्स के पोषक तत्वों से भरा हेल्दी टिफिन दें। इसके अलावा, स्कूल के बाहर लगी वेंडिंग मशीन जो फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक, कैंडीज़ उपलब्ध करा रही है उसे स्कूल कैफेटेरिया या स्कूल के पास नहीं लगाया जाना चाहिए।

एफएसएसएआई को स्कूलों में और उसके आसपास पैक्ड एचएफएसएस भोजन की उपलब्धता और प्रचार पर भी रोक लगानी चाहिए और स्कूलों के आस-पास पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी दिशानिर्देशों को लागू करना चाहिए। बच्चों के लिए लक्षित पैक्ड एचएफएसएस भोजन की मार्केटिंग को सख्ती से नियंत्रित किया जाना चाहिए। खाद्य लेबलिंग और दावों से संबंधित कानूनों को मजबूत किया जाना चाहिए। साथ ही साथ स्वास्थ्य और पोषण तथ्यों के संदर्भ में लेबलिंग को पैकेट के सामने तरफ प्रदर्शित किया जाना चाहिए।

स्कूलों में संतुलित आहार, स्वास्थ्य और अस्वास्थ्यकर भोजन पर एक सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए। इस संबंध में जनसंचार कार्यक्रमों को जनसंचार माध्यमों से प्रसारित भी किया जाना चाहिए जिससे बच्चों में मोटापे व कुपोषण की घटना को कम किया जा सके।

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