जमीन अधिग्रहण पर बरसाना के किसानों का विरोध, नारेबाजी
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पवन शर्मा
मथुरा।किसानों की जमीन के अधिग्रहण का विरोध तेज हो गया है।किसानों का कहना है कि उन्हे कब तक छला जाएगा। अब किसी के बहकावे में आने को किसान तैयार नहीं हैं ।सरकार की विकास कार्य योजनाएं किसान की जमीन पर टिकी हुई है, यदि सरकार विकास के लिए जमीन का
अधिग्रहण करती है तब तो बात समझ में आती है लेकिन सरकार के निगम, प्राधिकरण जो व्यापार कर किसानों की जमीन से भारी भरकम मुनाफा कमाते हैं उन मामलों में किसान सरकार को सरकारी दरों पर कैसे मुहिया कराएं इस हाल ही में विकास प्राधिकरण द्वारा बरसाना में जमीन अधिग्रहण को लेकर बैठक में किसानों ने अपनी असहमति ही व्यक्त नहीं की बल्कि सरकार की अधिग्रहण नीतियों के खिलाफ किसानों का गुस्सा भी फूट गया मौके पर जमकर नारेबाजी भी की तथा बिना किसी फैसले की बैठक टाय टाय फिश हो गई सरकार ने विकास प्राधिकरण का गठन ब्रज क्षेत्र के विकास के लिए किया है विकास प्राधिकरण गठन से आज तक अपनी कार्य योजना का खुलासा ही नहीं करता विकास प्राधिकरण को यदि जमीन की आवश्यकता है तो बहुत सारी नजूल, शत्रु संपत्ति आदि किस्म की जमीन जिस पर भूमाफियाओं का कब्जा है उन जमीनों को प्रशासन भूमाफियाओं के कब्जे से बेदखलकर कराकर विकास प्राधिकरण के माध्यम से विकसित कर सकती है लेकिन विकास प्राधिकरण की नजर किसानों की जमीन पर टिकी हुई है यहां सस्ते दामों पर अधिग्रहण कर ऊंचे दामों पर अधिक मुनाफा लेकर फिर उन्हें जनता को ही ऊंचे दामों पर सौंप देंते हैं।
बरसाना क्षेत्र के किसानों ने प्रदेश के मुखिया के नाम पत्र के माध्यम से अधिग्रहण के विरोध में अपनी असहमति से अवगत भी करा दिया है।