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प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ राजकुमार शर्मा का हुआ निधन-शोक की लहर

साहित्य सर्जना के द्योतक -डाॅ राजकुमार शर्मा साहित्यकार
गत 28 जनवरी 2024 को प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ राजकुमार शर्मा को देहान्त शाम को 8 बजे इलाहाबाद मे हो गया। उन्होंने अपना सारा जीवन साहित्य को समर्पित किया उनको योगदान अविस्मरणीय है। श्री शर्मा उन वयोवृद्ध साहित्यकारों में से थे। जिन्होंने हिन्दी साहित्य को समर्पित किया । देवबंद सहारनपुर से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षाग्रहण करने के लिए संभवतः 1956में आए थे। उनकों इलाहाबाद के साहित्यिक मिट्टी में घुल मिल गये।उनकी पंक्तियां थी।

 

किसी के रोके से कोई कभी रूका नहीं,
ताकत के झोंके से कोई कभी झुका नहीं।
मारना चाहते हो दुश्मन को बेहद प्यार करो
शराफत का उसा कोई कभी उठा नहीं।

 

और उनकी कलम साहित्य की स्याही से डूबती चली गयी। उन्हांेने त्रिवेणी प्रकाशन की स्थापना की, अनेको लेखको साहित्यकारों की पुस्तकों का प्रकाशन कार्य किया। उन्होंने सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के संस्मरण पुस्तक लिखी। इसके अलावा देवता नहीं हूं मैं, मुस्तक शतक, रावण की निगाहें उनकी कहानियांे और कविताओं के संकलन भी प्रकाशित हुये। वे जीवन पर्यन्त निःस्वार्थ भाव से साहित्य सर्जना करते रहे। उन्होंने अखिल भारतीय हिन्दी सेवी संस्थान की स्थापना की। जिसके माध्यम से वे अनेक वर्षों से इलाहाबाद में साहित्यिक कार्यक्रमों के आयोजन करते रहे। महादेवी वर्मा के साथ साहित्यकार पत्रिका का सम्पादन भी किया । उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सरोज शर्मा भी एक उत्कृष्ट कवयित्री और लेखिका थी। गत वर्ष 5 अक्टूबर को उनका देहान्त हो गया ।उनके परिवार में 3 बेटियां और एक पुत्र है।

किसी के रोके से कोई कभी रूका नहीं,
ताकत के झोंके से कोई कभी झुका नहीं।
मारना चाहते हो दुश्मन को बेहद प्यार करो
शराफत का उसा कोई कभी उठा नहीं।

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