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गोंडा-11 महीने से भटक रही विधवा को मिला न्याय-डीएम नेहा शर्मा ने लिया संज्ञान

डीएम नेहा शर्मा की त्वरित कार्रवाई: 11 महीने से भटक रही विधवा को मिला न्याय, लापरवाह पंचायत सचिव पर गिरी गाज

पति की मृत्यु के बाद सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही थी महिला, डीएम ने तुरंत दिलाया प्रमाणपत्र

पीड़िता की शिकायत पर सख्त हुईं जिलाधिकारी, लापरवाही पर पंचायत सचिव को दिया अल्टीमेटम

गोंडा। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने प्रशासनिक लापरवाही और जनता की शिकायतों की अनदेखी पर कड़ा रुख अपनाते हुए त्वरित न्याय सुनिश्चित किया। ग्राम रेतवागाड़ा की श्रीमती रिमझिम पिछले 11 महीने से अपने पति की मृत्यु प्रमाणपत्र और परिवार रजिस्टर की नकल के लिए भटक रही थीं, लेकिन पंचायत सचिव विनय कुमार भारती की टालमटोल और लापरवाही के कारण उन्हें आवश्यक दस्तावेज नहीं मिले।
जिलाधिकारी के जनता दर्शन में शिकायत मिलते ही डीएम ने तत्काल जांच के आदेश दिए और उसी दिन मामले का निस्तारण कराया। दोषी पंचायत सचिव की परिनिन्दा करते हुए जिलाधिकारी ने कड़ी चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराने पर सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
डीएम की इस त्वरित और कड़ी कार्रवाई से न केवल पीड़िता को इंसाफ मिला, बल्कि प्रशासन में भी हड़कंप मच गया। यह संदेश साफ हो गया कि जनता की समस्याओं की अनदेखी अब किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

11 महीने से परेशान थी पीड़िता मिला न्याय

ग्राम रेतवागाड़ा, विकासखंड मुजेहना निवासी श्रीमती रिमझिम के पति स्व. श्रवण कुमार का निधन 26 मार्च 2024 को हो गया था। पति की मृत्यु के बाद उन्होंने कई बार पंचायत सचिव विनय कुमार भारती से मृत्यु प्रमाणपत्र और परिवार रजिस्टर की नकल के लिए अनुरोध किया, लेकिन हर बार उन्हें टालमटोल कर वापस भेज दिया गया। पंचायत सचिव की लापरवाही का आलम यह था कि विकासखंड स्तर से भी मामले में भ्रामक रिपोर्ट भेजकर शिकायत को झूठा साबित करने की कोशिश की गई।

डीएम से शिकायत के बाद हुई तुरंत कार्रवाई

थक-हारकर सोमवार को श्रीमती रिमझिम ने जिलाधिकारी के जनता दर्शन में अपनी शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने तत्काल जांच के आदेश दिए। मुख्य राजस्व अधिकारी की जांच में पाया गया कि विकासखंड स्तर से भेजी गई रिपोर्ट तथ्यहीन और झूठी थी।

डीएम की सख्ती, पंचायत सचिव की परिनिन्दा

जिलाधिकारी ने उसी दिन सुनवाई कर मामले का निस्तारण सुनिश्चित किया। सुनवाई के दौरान खंड विकास अधिकारी ने स्वीकार किया कि पंचायत सचिव की लापरवाही के कारण आवेदिका को 11 महीने तक परेशान होना पड़ा। सुनवाई के तुरंत बाद आवेदिका को परिवार रजिस्टर की नकल उपलब्ध कराई गई और उसी दिन शाम तक मृत्यु प्रमाणपत्र भी सौंपा गया।

जब पंचायत सचिव विनय कुमार भारती से देरी का कारण पूछा गया, तो वह कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। डीएम ने उनके गैर-जिम्मेदाराना रवैये पर नाराजगी जताते हुए उनकी ‘परिनिन्दा’ की और चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी लापरवाही पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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