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Lucknow-LDA ने अपार्टमेंट आवंटियों को भेजा मेंटिनेंस शुल्क का नोटिस-महासमिति ने उठाया सवाल

LDA ने अपार्टमेंट आवंटियों को भेजा मेंटिनेंस शुल्क का नोटिस-महासमिति ने उठाया सवाल

लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा बनाये गए अपार्टमेंटों के आवंटियों से अनुरक्षण शुल्क वसूलने के लिए LDA नोटिस भेज रहा है। जानकीपुरम विस्तार के कुर्सी रोड स्थित सृष्टि अपार्टमेंट को भी अनुरक्षण शुल्क जमा करने के लिए LDA की तरफ से नोटिस भेजा गया है जिस पर ग्रेटर लखनऊ जन कल्याण महासमिति के महासचिव विवेक शर्मा ने लखनऊ विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को ईमेल के जरिये आपत्ति दर्ज कराई है , आवंटी विवेक शर्मा का कहना है कि फ्लैटों में अनियमितता पूर्णकार्य कर पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया ,जबकि फ्लैटों में अभी भी अनगिनत कार्य अपूर्ण स्थिति में है , विवेक शर्मा ने कहा कि आवंटियों के द्वारा जमा किये गए कारपस फंड मेंटिनेंस फंड से ही अपूर्ण कार्यो को पूर्ण करने के लिए यह शुल्क वसूल किया जा रहा है , ऐसे में लखनऊ विकास प्राधिकरण जो शुल्क हम आवंटियों से वसूलने के लिए नोटिस भेज रहा वह गलत है, विवेक शर्मा ने एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार से इस बाबत जिक्र करते हुए कहा कि अपार्टमेंटों में मूलभूत सुविधाओं को पूर्ण कराने जाने के बाद ही अनुरक्षण शुल्क वसूल किया जाना चाहिए हलाकि इस मामले पर लखनऊ विकास प्राधिकरण के आला अधिकारी चुप्पी साधे हुए है—

महासमिति के महासचिव विवेक शर्मा द्वारा लिखा गया पत्र–

कुछ ऐसा ही रुख अपना रहा..लखनऊ विकास प्राधिकरण!
यह सही भी है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा कोई एक व्यक्ति नहीं दे सकता इसके पीछे बड़ी ताकतें काम करती हैं, जो पूरी प्रक्रिया और उसके परिणामों को निर्धारित करती हैं..शायद ये ही हाल हुआ बहुखंडीय आवासीय योजनाओं के निर्माण में

जहां भ्रष्ट अफसरों के संरक्षण में मूलभूत सुविधाओं का ध्यान तक ना रखा गया और अनियमितता पूर्ण कार्य कर “पूर्णता प्रमाण पत्र” भी जारी कर दिए गए

किंतु प्रश्न ये उठता है कि यदि CC जारी है तो सभी कार्य पूर्ण होने चाहिए फिर क्यों करोड़ों रुपए के अधूरे कार्यों को पूर्ण किए जाने हेतु टेंडर प्रक्रिया अपनाई जा रही?

जबकि नियम तो ये है कि..यह प्रमाण पत्र तभी दिया जाता है जब अधिकारी निरीक्षण करते हैं और संतुष्ट होते हैं कि परियोजना/भवन का निर्माण स्वीकृत भवन योजना के अनुसार किया गया है और अनिवार्य मानकों को बनाए रखा गया है।

यह प्रमाण पत्र पानी, बिजली और जल निकासी व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है

जब तक पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हो जाता, बिल्डर खरीदार को कब्ज़ा नहीं दे सकता।

किंतु यहां तो जिम्मेदार विभाग द्वारा ही अनियमितता पूर्ण कार्यों पर अपनी मोहर लगाते हुए बिना अन्य विभागों (फायर) की NOC प्राप्त किए ही..कब्जा तक दे डाला गया था..जिसका उदाहरण जानकीपुरम विस्तार स्थित अपार्टमेंटों में देखा जा सकता है

साथ ही आवंटियों के द्वारा जमा किए गए कॉरपस व मेंटिनेंस फंड से ही अपूर्ण कार्यों के पूर्ण किए जाने हेतु वसूल किया जा रहा है?

यदि विकास कार्य अधूरा था तो किसके दबाव में CC जारी कर आवंटियों को अधूरी योजनाओं में कब्जा दे कर ठगा गया..बड़ा सवाल।

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