लखनऊ में बढ़ी कड़ाके की ठंड, अलाव की व्यवस्था नदारद
लोग कूड़ा–पॉलिथीन जलाकर खुद को गर्म करने को मजबूर
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में ठंड ने अचानक तेवर तीखे कर लिए हैं। रात और सुबह के समय कड़ाके की सर्दी से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। नगर निगम के अधिकारी रैन बसेरों का निरीक्षण तो कर रहे हैं, लेकिन शहर में ठंड से बचाव के लिए सबसे ज़रूरी अलाव की व्यवस्था अब तक नहीं हो सकी है।
स्थिति यह है कि शहर के कई प्रमुख चौराहों, बाजारों और सड़कों पर लोग कूड़ा-करकट और पॉलिथीन जलाकर ठंड से बचने की कोशिश कर रहे हैं। इससे न केवल प्रदूषण बढ़ रहा है, बल्कि लोगों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
नगर निगम द्वारा अब तक अलाव जलाने के लिए स्थलों का चिन्हांकन भी नहीं किया गया है। जबकि पूर्व वर्षों में इसी समय तक अस्पतालों, स्कूलों, बाजारों, चौराहों और रैन बसेरों में अलाव की पूरी व्यवस्था कर दी जाती थी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस बार न तो महापौर ने ठंड से जूझ रहे नागरिकों की सुध ली है और न ही नगर आयुक्त की ओर से कोई ठोस पहल दिखाई दे रही है। नागरिकों में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या अलाव के लिए लकड़ी का अभाव है या फिर वीआईपी कार्यक्रमों के चलते अधिकारी जनहित के मुद्दों से दूर हैं।
आरोप है कि नगर निगम की टीमें केवल जुर्माना वसूली तक सीमित हैं, जबकि आम जनता और राहगीरों को ठंड से राहत देने की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं की जा रही है।
शहरवासियों ने नगर निगम से तत्काल अलाव की व्यवस्था शुरू कराने और रैन बसेरों में सुविधाएं बढ़ाने की मांग की है, ताकि कड़ाके की ठंड में किसी को जान जोखिम में डालकर रात गुजारने को मजबूर न होना पड़े।