बिजली विभाग में वर्टिकल ब्यवस्था हुई लागू तो फॉल्ट के बाद ‘घनचक्कर’ बन जाएगा उपभोक्ता!

वर्टिकल व्यवस्था से बिजली व्यवस्था ‘बेपटरी’ होने की कगार पर!
लखनऊ।
राजधानी लखनऊ में बिजली आपूर्ति को लेकर उपभोक्ता अब ऐसे ही सवाल उठा रहे हैं। क्योंकि करंट विभाग का नया ‘महा प्रयोग’ वर्टिकल व्यवस्था आम जनता के लिए उलझनों और परेशानी का सबब बन सकता है।
बरेली सहित कई शहरों में पहले से लागू इस प्रणाली से संबंधित अव्यवस्थाओं की खबरें अब लखनऊ को भी घेरे में लेने लगी हैं। जिस ‘सुधार’ की उम्मीद थी, वह उपभोक्ताओं के लिए बोझ और कर्मचारियों के लिए भ्रम साबित हो रहा है।
एक एक्सईएन, पर पूरी ज़िम्मेदारी!
बिजली विभाग के सूत्रों के अनुसार नई व्यवस्था के तहत अब एक ही अधिशासी अभियंता (एक्सईएन) के ऊपर पूरे डिवीजन की 11 केवी और एलटी लाइनों के फॉल्ट की ज़िम्मेदारी डाल दी गई है। जबकि पहले चार-चार डिवीजन के एक्सईएन, एसडीओ और जेई अपने-अपने क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से कार्य करते थे।
अब स्थिति यह है कि—
एसडीओ और जेई को अलग-अलग सब स्टेशनों में बाँट दिया गया है,
एक्सईएन को ही फॉल्ट से लेकर शिकायतों तक का जिम्मा दे दिया गया है,
33 केवी, 11 केवी, एलटी लाइन, बिलिंग, राजस्व और शिकायत— सब कुछ अलग-अलग एक्सईएन के भरोसे!
फॉल्ट के बाद ‘घनचक्कर’ बन जाएगा उपभोक्ता!
नई व्यवस्था का चार्ट देखकर ही उपभोक्ता ‘चकरा’ जाता है। फॉल्ट होने पर कौन ज़िम्मेदार होगा?
शिकायत किससे की जाएगी?
समस्या का समाधान किसके पास होगा?
बिजली घरों में मौजूद कर्मचारी तक सही जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं। पूछताछ के लिए उपभोक्ता कई बार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन समाधान कहीं नहीं मिल रहा।
जनहित में पुनर्विचार की दरकार
लखनऊ के नागरिक अब इस नए प्रयोग से ‘वर्टिकल शॉक’ महसूस कर रहे हैं। यदि समय रहते समीक्षा नहीं हुई तो राजधानी में बिजली व्यवस्था बेपटरी हो सकती है।
बिजली विभाग के संगठनों की माने तो प्रशासन को चाहिए कि अन्य शहरों की अव्यवस्थाओं से सबक लेते हुए, जनहित में सोच-समझ कर निर्णय ले। कहीं ऐसा न हो कि सिस्टम का नया ढांचा, उपभोक्ताओं के लिए बिजली की बजाय ‘परेशानी की करंट’ बन जाए!
स्रोत- बिजली विभाग