श्रीधाम बरसाना की विश्व प्रसिद्ध लठ्ठामार होरी है जग प्रसिद्ध
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*बरसाना में साढ़े पांच हजार वर्षों से चली आ रही है लठामार होरी की परंपरा*
*अष्ट छाप के कवियों के पदों पर होली का होता है मंदिरों में गायन*
मथुरा। ब्रज मंडल श्रीधाम बरसाना की विश्व प्रसिद्ध लठ्ठामार होरी जग प्रसिद्ध है।
यों तो होरी सब जगह मनाई जाय किंतु ब्रज बरसाने की श्री प्रिया प्रीतम (श्रीराधाजी और भगवान श्रीकृष्ण) की प्रेम पगी होरी अनुपम अलौकिक रस सौ सराबोर होय है। बृज में होरी महोत्सव चालीस दिवसीय होय है, बसन्त पंचमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक।
ये परंपरा साढ़े पांच हजार वर्षों से चली आ रही है। बसंत पंचमी से ही समस्त बृज के मदिरों में समाज गायन प्रारंभ होय जाय है, यामें रसिक जनों के द्वारा रचनाओं का गायन होय है… यथा बसंत से “प्रथम समाज आज वृंदावन विहरत लाल बिहारी””। “”नवल बसंत नवल श्री वृंदावन नवल लाल खेलें होरी””। .मधुरित व्रंदावन आनन्द थोर, राजत नागरी, नव कुशल किशोर फाल्गुन प्रारम्भ होते ही महा शिवरात्रि से ऐसे भावों से होली गायन होय है।
“मोहन खेलत होरी वंशीवट वट यमुना तट कुंजन तरु थाड़े बनबारी””। “श्याम संग खेलन चली श्यामा सब सखियन जोरी”, “अति अलबेली श्री लाड़िली अलबेलों कुंज बिहारी लाल” , श्री वृंदावन सहज सुहाबनों, बृज में होरी के मध्य मधुर गारिन को भी समावेश होय है। यथा… गाबें दे दे तारियां हो ब्रज की नारियां सुकुमारी। ये सभी रचनाएं अष्ट छाप के कवियों की हैं।
फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिवस श्रीराधारानीजु के निज महल से श्रीनंदलाला के यहां होरी को निमंत्रण लेकें सखियों के रूप में श्रीमहल पुजारी किशोरी श्याम गोस्वामी जाय हैं। या मेँ अबीर गुलाल, इत्र, ओढ़नी / पुष्प हार, बीड़ा प्रसादी बहुत साज सज्जा के साथ श्री नंद भवन में, वहां उनको बहुत स्वागत फाग महोत्सव नाच गायन होय है।
तत्पश्चात सांयकाल को नंदगांव सो संदेश वाहक के रूप में श्रीजी निजमहल आवे “”नंद गांव को पाड़ो ब्रज बरसाने आयो”” उद्देश्य ये कि श्रीकृष्ण ने श्रीकिशोरीजु को निमंत्रण स्वीकार कर लियो है, कल होरी खेलबे अपने सखान के संग आयेंगे। ये सुन सभी ब्रजगोपी बाकूं लड्डुओं से स्वागत कर लड्डुन गुलाल की वर्षा करें याकुं “”लड्डू होरी कहें है।
अब अगले दिवस फाल्गुन नवमी को नंदगांव से श्रीकृष्ण स्वरूप ध्वजा लेकें ग्वाल बाल ढाल गुलाल लेकेँ आबे उनको स्वागत पीली पोखर (श्री प्रिया कुंड) पर पारंपरिक रूप से कियो जाय, फिर बो सभी श्रीजी निजमहल श्रीकिशोरीजू सो होरी खेलबे की आज्ञा लेवे आमे महल में उनको स्वागत हरवल टेशू के पुष्पों से बने रंग से वारिश कर स्वागत होय और नंदगांव बरसाने के सयुक्त गोस्वामियों की होरी धमार समाज गायन होय, समाज के पश्चात नीचे रंगीली गली से लेके अन्य गलियों में इन ग्वाल बाल की ढालन पर ब्रज गोपियां ( जो कि पहले से ही तैयार रहे हैं) अपनी लाठियों से प्रहार करती हैं। इनका भाव होता है कि श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ छेड़ छाड़ करते हैं तो ये सब सखी रूप में उनको भगाती हैं। बहुत सुंदर वर्णनन मिले ..फाग खेलन बरसाने आए हैं, नटवर नंद किशोर””। भई है अबीर की घोर अधियारी दिखत नाय कोई नर और नारी “। सखियन ने पकड़े बनबारी नर ते श्याम बनाए दिए नारी, जिन कटी लहंगा पहराए हैं। फिर सभी ग्वाल बाल सखियों को फगुआ स्वरूप भेट देते हैं, इस प्रकार ये रंगीली होरी लठ्ठमार होरी मनाई जाय है।
फोटो
आचार्य किशोरी श्याम गोस्वामी मुख्य सेवाधिकारी, श्री राधा रानी जी निजमहल, श्री धाम बरसाना