MATHURA: मानक के विपरीत बरसाना में बना रहे हैं होटल रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस
1 min readमानक के विपरीत बरसाना में बना रहे हैं होटल रेस्टोरेंट गेस्ट हाउस
नक्शा पास करने वाले ही दे रहे हैं शह कभी भी हो सकती है अनहोनी घटना
कभी अंडरग्राउंड तो कभी चार मंजिला बन रही है इमारतें, कोई धना धोरी नहीं बरसाना में
पवन शर्मा-मथुरा-स्टार न्यूज़ भारत
मथुरा। लगभग समूचे ब्रज के विकास हेतु प्रदेश सरकार द्वारा अब से कई वर्ष पूर्व मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण का गठन किया था जिसमें छोटे बड़े एक दर्जन से अधिक तीर्थ स्थलों को शामिल किया गया था जिसमें शहरी ग्रामीण क्षेत्र भी आते हैं विकास प्राधिकरण के गठन को कई वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन धरातल पर उक्त विकास प्राधिकरण कोई विकास जनता के सामने ऐसा नहीं आया जिससे इसका बखान किया जा सके।
उक्त मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण से पूर्व छोटे-मोटे महानगरों में यहां तक की ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़े ग्राम पंचायत में पहले तो मकानों,वाणिज्य दुकानों का निर्माण करने के लिए कोई विशेष मानक नहीं थे बहुत कम औपचारिकताओं में मकान दुकान का निर्माण हो जाता था लेकिन पिछले कई वर्षों से जब से मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण गठन हुआ है तब से मानचित्र स्वीकृत कराने हेतु सरकारी फीस में काफी बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके अलावा भ्रष्टाचार में भी बेतहाशा वृद्धि देखी की जा रही है
अपुष्ट सूत्र बताते हैं कि विकास प्राधिकरण के कर्मचारी भवन निर्माताओं को भय दिखाकर अवैध वसूली करते हैं तथा मानकों के विपरीत भवन कंपलेक्स निर्माण में परोक्ष रूप से सहायता भी करते हैं नगरों में भवनों के निर्माण से सुंदरीकरण में अहम भूमिका है वहीं ग़ैर मानकों के निर्माण से नगर काने खुतरे नजर आते हैं वहीं सुन्दरता
भी कोसों दूर रहती है, समीपवर्ती राजस्थान राज्य को ही ले लीजिए वहां भवनों के निर्माण कानून में कोई शिथिलता नहीं है भवनों का निर्माण एक जैसा है सुन्दरता भी अलग दिखाई देती है राजस्थान राज्य में भवनों का निर्माण एक जैसा ही पाया जाता है
लेकिन हमारे मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण की सीमा में यहां कई प्रशासनिक अधिकारी जिनमें आई ए एस, पी सी एस जिम्मेदारी को संभालते हैं उनके द्वारा भी भवन दुकानों के निर्माण में नगर को सुंदर बनाने हेतु कोई कारगर योजना तैयार नहीं की गई है भलेही विकास प्राधिकरण राजस्व प्राप्ति के मामले में अब्बल नंबर पर हो लेकिन मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण की सीमा में चार चांद लगाने में पूरी तरह विफल रहा।