स्तनपानः माँ और बच्चे दोनों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य का अमूल्य वरदान”–डॉ. हर्षिता गुप्ता पोषण विशेषज्ञ
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स्तनपान न केवल शिशुओं के लिए पोषण का महत्वपूर्ण साधन है, बल्कि यह माँ और शिशु दोनों के लिए दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभों का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी है। इसके लाभ न केवल शिशु के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए होते हैं, बल्कि मां के स्वास्थ्य के लिए भी लंबी अवधि तक उपयुक्त होते हैं।
शिशुओं के लिए, माँ का दूध उनकी पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करने में विशेष रूप से भूमिका निभाता है। बच्चों में कुछ छोटी और दीर्घकालिक बीमारियों से बचाने में भी मदद करता है। इसमें मौजूद विशेष तत्व शिशु को वातावरणीय, पाचन सम्बन्धी व अन्य विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से बचाने में मदद करते हैं। इसके अतिरिक्त, माँ के दूध में मौजूद एंटीबॉडी शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का कार्य करती है, जो जीवनभर शिशु के उत्तम स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होती है। स्तनपान से शिशुओं में अस्थमा, मोटापा, टाइप 1 मधुमेह और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम (एसआईडीएस) का खतरा कम होता है।
माँ का दूध, शिशु के मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। माँ के दूध में मौजूद फैटी एसिड, विशेष रूप से डीएचए (डोकोसाहेक्सैनोइक एसिड), प्राकृतिक रूप से होता है जो शिशु के मस्तिष्क विकास के लिए आवश्यक है। यदि मां को गर्भावस्था में पर्याप्त मात्रा में डीएचए दिया जाता है तो इससे मां के रक्त में डीएचए की मात्रा बढ़ जाती है जिससे स्तनपान करने वाले शिशु के आईक्यू स्कोर (IQ Score) में वृद्धि होती है और बड़े होने पर शिशु के संज्ञानात्मक कार्य तथा शिक्षात्मक क्षमताएं बेहतर होती जाती हैं।
मां के लिए भी ब्रेस्टफीडिंग दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए अनेक लाभ प्रदान करती है। इसके अनुसार, माँ का दूध स्तन कैंसर, ओवेरियन कैंसर, और हृदय रोगों जैसी बीमारियों के जोखिम को कम करता है। माँ का दूध हार्मोनल स्तर को संतुलित करने में भी मदद करती है। इसके अतिरिक्त पोस्टपार्टम रिकवरी को भी बढ़ावा देता है, जिससे डिलीवरी के बाद गर्भाशय के वापस अपनी स्थिति में आने में मदद मिलती है।
स्तनपान, माँ और बच्चे के बीच घनिष्ठ शारीरिक और भावनात्मक बंधन को बढ़ावा देता है। यह जुड़ाव शिशु की भावनात्मक सुरक्षा और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। स्तनपान के दौरान स्रावित होने वाला ऑक्सीटोसिन, जिसे “लव हार्मोन” भी कहते हैं, भावनात्मक बंधन को मजबूत बनाने का काम करता है और बच्चे में सुरक्षा की भावना को विकसित करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन भी लगभग 6 महीने तक केवल स्तनपान कराने की सलाह देता है. जिसमें 2 साल या उससे अधिक उम्र तक उचित पूरक आहार देने के साथ-साथ स्तनपान जारी रखने की सलाह भी दी जाती है।
कुल मिलाकर, स्तनपान एक व्यापक लाभ प्रदान करता है जिसका बच्चे के शारीरिक और मानसिक दोनों ही विकास में योगदान होता है तथा स्वस्थ और समायोजित व्यक्ति के लिए एक मजबूत नींव रखता है।
इस सप्ताह यह अभियान स्तनपान कराने वाली माताओं की उनकी स्तनपान यात्रा के दौरान उनकी विविधता का जश्न मनाएगा, साथ ही यह भी प्रदर्शित करेगा कि किस तरह से परिवार, समाज, समुदाय और स्वास्थ्य कार्यकर्ता हर स्तनपान कराने वाली मां का समर्थन कर सकते हैं।